Prerna
- 2 Posts
- 0 Comment
नदी तू बहती चल
अपनी सामर्थ्य के अनुसार अपने
कर्म करती चल
नदी तू बहती चल /
तेरा तो बाना है
हरियाली को फैलाना
जन – जीवन को निर्मल बनाना ;
राह के पत्थरों की चोट
भर जायेगी
बस तू बहती चल
नदी तू बहती चल /
मेघ बरसे तो उसका भी जल
यथाशक्ति अपने में
समाये चल ;
बाढ़ हो या सूखा
अल्पकालीन सुख दुःख से
अविचिलित रहकर
बढ़ती चल
नदी तू बहती चल /
~ उमा
Read Comments